मेरे मालिक की दुकान में लिरिक्स
#मेरे मालिक की दुकान में#
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता।
जितना जिसके भाग में होता ,वो उतना ही पाता।
मेरे मालिक की दुकान मे ,सब लोगो का खाता।
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क्या साधु क्या संत ग्रहस्ती ,क्या राजा क्या रानी।
प्रभु की पुस्तक में लिखी है,सबकी करम कहानी।
वही तो सबके जमा खर्च का,सही हिसाब लगाता।
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता। टेर। …
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बड़े कठिन कानून प्रभु के ,बड़ी कठिन मर्यादा।
किसी को कोड़ी कम नहीं देता ,किसी को तमडी ज्यादा।
इसीलिये तो दुनिया में ये ,जगत सेठ कहलाता।
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता। टेर। …
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करता है इंसाफ सभी के,सिंहासन पर डट के।
उसका फैसला कभी ना टलता,लाख कोई सर पटके।
समझदार तो चुप रहता है,ओर मुर्ख शोर मचाता।
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता। टेर। …
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नहीं चले उसके घर रिश्वत,नहीं चले चालाकी।
उसके अपने लेन देन की,रीत बड़ी है बांकी।
पूण्य का बेडा पार करे,पापी की नाव डूबाता।
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता। टेर। …
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अच्छी करनी करीयो लाला,करम ना करीयो काला।
देख रहा है लाख आँख से,तुझको ऊपर वाला।
सतगुरु संत से प्रेम लगा ले,समय गुजरता जाता।
मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता। टेर। …
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मेरे मालिक के दरबार में,सब लोगो का खाता।
जितना जिसके भाग में होता ,वो उतना ही पाता।
मेरे मालिक की दुकान मे ,सब लोगो का खाता।