ओढ़ चुनर गई सत्संग में लिरिक्स
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में।
साँवरियो भिगोई म्हाने,
गहरा गहरा रंग में।
सोच रही मन में ,
समझ रही दिल में।
थारो मारो न्याय ,
होवेला सत्संग में।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में।
सत री संगत में ,
गुरु जी विराजे।
कर कर दर्शन ,
होई रे मगन मैं।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में। टेर।
सत री संगत में ,
सहेलिया विराजे।
गाई गाई हरी गुण ,
होई रे मगन मैं।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में। टेर।
सत री संगत में ,
ज्योति जगत है।
कर कर दर्शन ,
होई रे मगन मैं।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में। टेर।
सत री संगत में ,
राम रस बरसे।
पी पी राम रस ,
होई रे मगन में।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में। टेर।
सत री संगत में ,
साज बजत है।
गाई गाई हरी गुण ,
होई रे मगन मैं।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में। टेर।
बाई मीरा गावे ,
प्रभु गिरधर नागर।
भवजल पार करोनी ,
पल छीन में।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में।
साँवरियो भिगोई म्हाने,
गहरा गहरा रंग में।
सोच रही मन में ,
समझ रही दिल में।
थारो मारो न्याय ,
होवेला सत्संग में।
ओढ़ चुनर में तो ,
गई रे सत्संग में।