होली खेले अंजनी के लाल
होली खेले अंजनी के लाल सिंधुर की होली खेले ,
श्री राम सियां देख के निहाल सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल सिंधुर की होली खेले ,
श्री राम सियां देख के निहाल सिंधुर की होली खेले
हनुमान पूछे माँ सीता से इक दिन,
माता क्यों लगाती हो सिंधुर प्रति दिन,
माँ बोली प्रभु भक्ति का शृंगार, सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल…….
बोले हनुमान मन में भक्ति अपार है,
राम नाम सिंधुर भक्ति का शृंगार है,
सिंधुर हुआ जैसे गुलाल,सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल …….
लेके सिंधुर अंग अंग मले हनुमत,
मल सिंधुर किलकारी करे हनुमत,
हुये बजरंग बलि लालो लाल,सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल …..
सिया राम जी लग के अति सुख पाते,
सिंधुरी हनुमत की महिमा गाते,
संकट मोचन है कालो के काल,सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल
बजरंग बलि को जो सिंधुर लगाते,
हर संकट से मुक्ति है पाते,
राम भक्तो को करे खुशाल सिंधुर की होली खेले
होली खेले अंजनी के लाल