काली जे महाकाली लिरिक्स
काली जे महाकाली
दुष्टो का संहार करो मा
संत जानो की रखवाली
काली जे महाकाली।।
चंद मूंद दैत्यो को मारा
रक्त बीज का शीश उतरा
रौद्रा रूप काली अवतारा
खड़ग चला पापी संहारा।।
जे मा कलकत्ते वाली मा
ना जाए तेरा वचन खाली
काली जे महाकाली।।
गाल में नरमुंडन की माला
कर में रक्त भरा है प्यारा
बिखरे केश रूप विकरला
चला रही असूरन पे भला।।
भूत पिसाच निशचार भागे
देख तेरा खप्पर खाली
काली जे महाकाली।।
मा कष्टों को हारने वाली
काम सदा सिद्ध करने वाली
सुखो का सागर भरने वाली
रोग द्वेष दुख हारने वाली।।
दैत्यो का धड़ फाड़ रही मा
चामुंडा मरघाट वाली
काली जे महाकाली।।
दानव दल ने मुझको घेरा
आला बाला का कटा घेरा।।
तुम बिन कौन सहारा
भक्त खड़ा दर पर मा तेरा
कवि बिजान है हेमंत राज की
भरदो मा खाली झोली
काली जे महाकाली।।