आरुग हे कलसा भजन लिरिक्स
आरुग हे कलसा दाई आरुग बाती वो
आरुग दियना जलाव…. दाई वो
आरुग दोना दाई आमा…के पाना वो
अरुग फुलवा दाई नीबू…के बाना वो
नारियर जोड़ा लानेव हरियर… डूबी वो
आरुग गोरस दाई नौ…घट देबी वो
आरुग चंदन लानव आरुग बंदन वो
आरुग बिरवा बोवाव….. दाई वो
अंगना ल लिपे पोते चौउक… पुरायेव वो
भुवना के तिरे तीर कलशा… सजायेव वो
तोर सावंगा धरे हुम…. चढ़ायेव वो
सिरजाहु दुर्गा दाई ज्योत… जलायेव वो
आरुग चुरी लनाव अरुग फुंदरी वो
आरुग चुनरी चढ़ाव….. दाई वो