पार्वती ने शिव को पाया लिरिक्स
युगो युगो की कथिन तपस्या
आज रंग है लाई
पार्वती ने शिव को पाया
त्रिभुवन देत बधाई
त्रिभुवन देत बधाई
हुई न विचलित अपने प्राण से
शिव को मांगा अंतर मन से
अटली साधना के बल पर
वो मिली ही गई पने प्रियतम से
नीच सर्वेश भुला कर
शिव की बन ही गई परछाई
पार्वती ने शिव को पाया
त्रिभुवन देत बधाई
त्रिभुवन देत बधाई
देव ऋषि घन सब के मन में
जड़ चेतन में धरती गगन में
चाहूँ दिशि उस्तावा सा छया
कोमल ध्वनि त्रिभुवन में
हर हर महादेव हर हर महादेव
पूर्ण हुई सब की अभिलाषा
दिव्य परम निधि पाई
पार्वती ने शिव को पाया
त्रिभुवन देत बधाई
त्रिभुवन देत बधाई…