Last updated on May 15th, 2024 at 11:10 am
संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है जो दर पे आए खाली ना जाए सबके भंडारे भरती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है
जब-जब डोली भक्तों की नैया पार लगाने आई है, मैया पार लगाने आई है, भक्तों को अपनी मुक्ति का वरदान मिला है, ये सच्ची माई भक्तो के सिर पर हाथ दया का धरती है, हाथ दया का धरती है, संतोषी माता, जग की विधाता सबके संकट हरती है।
अंधो को आँखे भूखे को रोटी बाँझो को संतन देती है
बाँझो को संतान देती है ठुकराया जिसे सारे जहां ने उसे वह सम्मान देती है उसे वह सम्मान देती है लेकर के आशा आए जो भी उसकी इच्छा को पूरी करती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है
श्रद्धा से जोभी इसके मंदिर में आकर सिर को झुकाये उसको सब कुछ यहीं से मिल जाये दर दर ना ठोकर खाये कर्मो के मारो चंचल बेचारों की किस्मत यहीं पे सवारती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है जो दर पे आए खाली न जाए सबके भंडारे भारती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है संतोषी माता जग की विधाता सबके संकट हरती है जय संतोषी मां जय संतोषी मां जय संतोषी मां