राम को देख कर श्री जनक लिरिक्स
राम को देख कर के जनक नंदिनी
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी-2
राम देखे सिया माँ सिया राम को
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी|
थे जनक पुर गये देखने के लिए
सारी सखियाँ झरोखो से झाँकन लगे -2
देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी|
|श्री राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी…|
बोली एक सखी राम को देखकर
रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर।
पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर
मन में शंका बनी की बनी रह गयी|
|श्री राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी…|
बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है
फिर चमत्कार इनका नहीं जानती।
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी|
|श्री राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी…|
राम को देख कर के जनक नंदिनी
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।
राम देखे सिया को सिया राम को
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी|